Tuesday, June 26, 2012

बेतकल्लुफ सा ख्याल तेरा...

बेतकल्लुफ सा ख्याल तेरा,
जब भी आता है, बेवक्त ही आता है!
 
रोटी के पहले निवाले के बाद,
नींद के आने से पहले,
वुदू और नमाज़ के दरमियाँ,
दो साँसों के बीच आके
अड़ सा जाता है!

बेतकल्लुफ सा ख्याल तेरा... 
 
सड़क के बीचो-बीच,
यकायक, चुपचाप दबे पाँव आके,
एक अनहद सा खाका बनाके,
सुबह के सपने के जैसा,
परछाई छोड़ जाता है!

बेतकल्लुफ सा ख्याल तेरा...

पिचले एक पखवाड़े से तो,
एक बैर सा पाले है,
गाहे, बगाहे, बिन बुलाये,
शाम ढले जो आ धमके,
सुबह करके ही जाता है!

बेतकल्लुफ सा ख्याल तेरा...

एक बेफिक्री सी है उसके आने में,
आज़ाद, बेमंज़िल, खुद से ही कुछ उखड़ा,
अगर आने पे आये तो हर पल आये,
वगरना दिन, हफ़्तों क्या,
महीनों नहीं आता!

बेतकल्लुफ सा ख्याल तेरा..
बेतकल्लुफ सा ख्याल तेरा..

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