बेजान ख्यालों के दिन,
अपाहिज सपनों की रात,कहती है तुमसे कुछ बात!!
कि उठो, जागो,
और हमें भी जगाओ,
ज़िन्दगी अभी जिंदा है,
ये अहसास,
हमें भी कराओ,
हम अपाहिज हैं, तो क्या है?
तुम खुद को पंख लगा के,
हमको भी साथ उडाओ,
ओदे कोयले कि तरह मत सुलगो,
जो बस धुंआ छोड़े, आंसू बहाये,
जलो तो ऐसे जलो,
कि बर्बादी तो हो,
पर अँधेरा मिट जाये,
सुबह से कुछ सीखो,
हरेक रात को वो खुद को भूल जाती है,
हर सुबह, वो फिर से,
एक नयी सुबह बन के आती है,
हर सुबह,
मांगे तुम्हारा साथ,
हर सुबह,
कहती है तुमसे कुछ बात!!
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