Wednesday, August 10, 2011

. . . . . . . . . . . . . .पथिक हूँ में, पथिक हूँ में!


पथिक हूँ में, पथिक हूँ में,


मुझे ना चाह मंजिल की,
मुझे ना दूरियों से रोष,
ना कुछ पाने का है उल्लास,
ना कुछ खो जाने का अफसोस,
मेरी बस एक अभिलाषा,
उसी को में समर्पित हूँ,

पथिक हूँ में, पथिक हूँ में!

कभी जो राह में भूलूं,
तो अपना भाग्य में मानूं, 
कहूँ जो भी, करूँ जो भी,
स्वयं का अंश में जानूं,
धरीधर सा हठी में हूँ,
में हूँ निर्भय पवनसुत सा,

पथिक हूँ में, पथिक हूँ में!

हरेक साथी है साधू सा,
हरेक पथ योग सा मुझको,
मुझे बस बहना आता है, 
ठहरना रोग सा मुझको,
में प्रेमी हूँ हरेक पथ का,
हरेक पथ मेरा मुर्शिद है,

पथिक हूँ में, पथिक हूँ में! 

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