Saturday, April 7, 2012

मुझको मेरा कोना दे दो

मुझको मेरा कोना दे दो, 
तुम दुनियां रखो अपने सर

में आतिश में जलूं, जलाऊं,
जलने से पहचान बनाऊं,
में आज़ाद, ग़ुलाम खुदी का, 
कब, क्यों, कहाँ बनाऊंगा घर,

मुझको मेरा कोना दे दो,
तुम दुनियां रखो अपने सर

बाज़ी बस में एक लगाऊं, 
फिर चाहे सर्वस्व लुटाऊँ,
अर्ध्समर्पन पाप सरीखा,
पूर्ण समर्पन हज़ से ऊपर, 

मुझको मेरा कोना दे दो,
तुम दुनियां रखो अपने सर

खोना, पाना, मुर्दा होना,
ये सब जीवन के लक्षण है, 
जो खो जाये, मृग मरीचिका,
उड़ने आतुर, खुले हुए पर,

मुझको मेरा कोना दे दो,
तुम दुनियां रखो अपने सर

एक दिन रात अकेली पाकर,
मैंने खुद से किया था वादा,
जब तक, जैसे, जहां, जियो तुम,
हो उन्मुक्त, जियो  अपने बल, 

मुझको मेरा कोना दे दो,
तुम दुनियां रखो अपने सर

1 comment:

Anonymous said...
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