मोहि आस नहीं काऊ ईश्वर की,
मोहि आस नहीं काऊ रहवर की,
हमने सब खुद ही सीखो है,
मोहि आस नहीं काऊ गुरुवर की!
मेरे जो बाहिर सो मन में होई,
मेरी नैया चाहि सघन में होई,
दोई रोटी नून गुजर मेरी,
मोहि आस नहीं सिंघासन की!
मोहि ह्रदय तिहारे रख लीजो,
मोरे अंतर मन श्रृंगार रचो,
मोरी बांह पकरि बस हंस दीजो,
मोहि आस नहीं तन की, धन की!
मेरे जीवन अंत निकट रहियो,
हो नियरे, चाहि दूर रहो,
मोरे नैना अस्त तुम्हें देखें,
हैं येही आस मेरे मन की !